सैनिक की अंतिम इच्छा : एक कविता
साथी घर जाकर मत कहना, संकेतों में बतला देना
यदि हाल मेरी माता पूछे, मुरझाया फूल दिखा देना
यदि इतना कहने से न माने, जलता दीपबुझा देना
यदि हाल मेरी बहना पूछे, मस्तक तिलक मिटा देना
यदि इतना कहने से न माने, तो राखी तोड दिखा देना
यदि हाल मेरी पत्नी पूछे, मांग सिंदूर मिटा देना
यदि इतना कहने से न माने, तो चूडी तोड दिखा देना
एक प्रणाम शहिदो के नाम
जिन्होने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया
साथी घर जाकर मत कहना, संकेतों में बतला देना
यदि हाल मेरी माता पूछे, मुरझाया फूल दिखा देना
यदि इतना कहने से न माने, जलता दीपबुझा देना
यदि हाल मेरी बहना पूछे, मस्तक तिलक मिटा देना
यदि इतना कहने से न माने, तो राखी तोड दिखा देना
यदि हाल मेरी पत्नी पूछे, मांग सिंदूर मिटा देना
यदि इतना कहने से न माने, तो चूडी तोड दिखा देना
एक प्रणाम शहिदो के नाम
जिन्होने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया
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